देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। आज के युग में बिना धन-वैभव मनुष्य का जीवन अधूरा होता है। कलयुग में जिन देवों को सर्वाधिक पूजा जाता है उनमें लक्ष्मी जी एक हैं।
मां लक्ष्मी के आवाहन का मंत्र:
सर्वलोकस्य जननीं सर्वसौख्यप्रदायिनीम |
सर्वदेवमयीमीशां देवीमावाहयाम्यहम् ||
ॐ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् | यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ||
ऐसी मान्यता है कि लक्ष्मी जी की नित्य पूजा करने से मनुष्य के जीवन में कभी दरिद्रता नहीं आती है। लक्ष्मी जी की पूजा में कई मंत्रों का प्रयोग होता है। माता की आराधना में चालीसा का भी विशेष महत्व है।
मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्घ करि, परुवहु मेरी आस॥
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही।
ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदम्बा। सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥1॥
तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥2॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥3॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥4॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥5॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥6॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥7॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥8॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥9॥
ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥10॥
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥11॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥12॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥13॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥14॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥15॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥16॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥17॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥18॥
रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥19॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥
देवी लक्ष्मी जी के 108 नाम:
1. प्रकृती
2. विकृती
3. विद्या
4. सर्वभूतहितप्रदा
5. श्रद्धा
6. विभूति
7. सुरभि
8. परमात्मिका
9. वाचि
10. पद्मलया
11. पद्मा
12. शुचि
13. स्वाहा
14. स्वधा
15. सुधा
16. धन्या
17. हिरण्मयी
18. लक्ष्मी
19. नित्यपुष्टा
20. विभा
21. आदित्य
22. दित्य
23. दीपायै
24. वसुधा
25. वसुधारिणी
26. कमलसम्भवा
27. कान्ता
28. कामाक्षी
29. क्ष्रीरोधसंभवा, क्रोधसंभवा
30. अनुग्रहप्रदा
31. बुध्दि
32. अनघा
33. हरिवल्लभि
34. अशोका
35. अमृता
36. दीप्ता
37. लोकशोकविनाशि
38. धर्मनिलया
39. करुणा
40. लोकमात्रि
41. पद्मप्रिया
42. पद्महस्ता
43. पद्माक्ष्या
44. पद्मसुन्दरी
45. पद्मोद्भवा
46. पद्ममुखी
47. पद्मनाभाप्रिया
48. रमा
49. पद्ममालाधरा
50. देवी
51. पद्मिनी
52. पद्मगन्धिनी
53. पुण्यगन्धा
54. सुप्रसन्ना
55. प्रसादाभिमुखी
56. प्रभा
57. चन्द्रवदना
58. चन्द्रा
59. चन्द्रसहोदरी
60. चतुर्भुजा
61. चन्द्ररूपा
62. इन्दिरा
63. इन्दुशीतला
64. आह्लादजननी
65. पुष्टि
66. शिवा
67. शिवकरी
68. सत्या
69. विमला
70. विश्वजननी
71. तुष्टि
72. दारिद्र्यनाशिनी
73. प्रीतिपुष्करिणी
74. शान्ता
75. शुक्लमाल्यांबरा
76. श्री
77. भस्करि
78. बिल्वनिलया
79. वरारोहा
80. यशस्विनी
81. वसुन्धरा
82. उदारांगा
83. हरिणी
84. हेममालिनी
85. धनधान्यकी
86. सिध्दि
87. स्त्रैणसौम्या
88. शुभप्रदा
89. नृपवेश्मगतानन्दा
90. वरलक्ष्मी
91. वसुप्रदा
92. शुभा
93. हिरण्यप्राकारा
94. समुद्रतनया
95. जया
96. मंगला देवी
97. विष्णुवक्षस्स्थलस्थिता
98. विष्णुपत्नी
99. प्रसन्नाक्षी
100. नारायणसमाश्रिता
101. दारिद्र्यध्वंसिनी
102. देवी
103. सर्वोपद्रव वारिणी
104. नवदुर्गा
105. महाकाली
106. ब्रह्माविष्णुशिवात्मिका
107. त्रिकालज्ञानसम्पन्ना
108. भुवनेश्वरी